लेखनी कहानी -13-Apr-2022 ए बचपन
रचीयता -प्रियंका भूतड़ा
शीर्षक-ए बचपन
ए बचपन तूने मुझे जाना ही कहां,
आज सुन और मैं सुनाऊंगा।
ए बचपन तू मुझे रुला सकती है,
पर भावनाओं को नहीं कर सकती कमजोर।
ए बचपन तू मेरे पंखों को काट सकती है,
पर मेरी उड़ान को नहीं।
ए बचपन तू मेरे कदमों को रोक सकती है,
पर बढ़ने से रोक नहीं सकती तू।
ए बचपन तू मेरी उम्र छीन सकती है,
पर सपने नहीं छीन सकती तू।
ए बचपन तूने मुझे जाना ही कहा
ए बचपन तू मेरी इच्छा छीन सकती है,
पर उम्मीद नहीं छीन सकती तू।
ए बचपन तू मुझे कमजोर कर सकती है,
पर तोड़ नहीं सकती तू।
यह बचपन तूने मुझे जाना ही कहा
ए बचपन रोक सकती है तू मेरी आवाज, सुनो
पर बुलंदियों को रोक नहीं सकती।
ए बचपन सीढ़ी से उतार सकती है तू,
पर मंजिल पाने से रोक नहीं सकती तू।
ए बचपन रोक नहीं सकती तू मुझे हौसलों से,
ए बचपन तू रोक नहीं सकती उड़ान के भरोसो से।
कायम है मुझ में कुछ कर गुजरने का,
रस्ते में थमने का जरिया नहीं बन सकती।
"ए बचपन तूने मुझे जाना ही कहा।"
(नॉनस्टॉप प्रतियोगिता-2022)
Simran Bhagat
18-Apr-2022 04:05 PM
Very nice
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Renu
18-Apr-2022 10:34 AM
बहुत ही बेहतरीन 💐💐
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Swati chourasia
13-Apr-2022 01:24 PM
Very beautiful 👌
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